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श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान

स्थापना उद्देश्य

सांगानेर की पुण्यधरा पर महाकवि संत शिरोमणि परमपूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर के मंगल आशीर्वाद से एवं उनके सुयोग्य शिष्य ज्ञान रथ के सारथी, सिद्धवाक्, आध्यात्मिक सन्त, परम पूज्य निर्यापक श्रमण, मुनिपुंगव श्री 108 सुधासागरजी महाराज की मंगल प्रेरणा से 1 सितम्बर, 1996 को श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर का बीजारोपण किया गया। हर्ष का विषय है कि वर्ष सितम्बर 2021 में संस्थान अपनी गौरवपूर्ण सेवाओं के 25 वर्ष पूर्ण कर वर्ष 2021-22 को संस्कृति गौरव वर्द्धनोत्सव के रूप में मनाने जा रहा है। संस्थान का मूल उद्देश्य आगमानुकूल श्रमण परम्परा को संरक्षित करना, श्रावकों को उनके कर्त्तव्यों एवं संस्कारों से अलंकृत करना तथा छात्रों को भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु समर्पित एवं उपासक विद्वान् के रूप में तैयार कर समाज को उपलब्ध कराना है।

महाकवि आचार्य ज्ञानसागर महाविद्यालय

उक्त उद्देश्यों के पूर्ति हेतु संस्थान अंतर्गत सञ्चालित महाकवि आचार्य ज्ञानसागर महाविद्यालय में जैन दर्शन, संस्कृत, अंग्रेजी, प्राकृत, कम्प्यूटर एप्लीकेशन आदि विषयों की कनिष्ठ उपाध्य (11वीं) से आचार्य (एम.ए.) पर्यन्त अध्ययन के साथ छात्रों को ज्योतिष, वास्तु, विधि-विधान आदि में प्रायोगिक प्रशिक्षण द्वारा निष्णात किया जाता है। समय-समय पर छात्रों को योग, प्राकृतिक चिकित्सा, व्यक्तित्व विकास आदि विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में शिविर लगाकर प्रशिक्षण दिया जाता है। यहाँ सम सामयिक जानकारी एवं सन्दर्भित ग्रन्थों के अध्ययन एवं सुसज्जित पुस्तकालय एवं वाचनालय उपलब्ध है। यहाँ से गहन प्रशिक्षण प्राप्त विद्वान् केन्द्र/राज्य सरकार व समाज के अनेक क्षेत्रों में कार्यरत हैं, इस कारण संस्थान ने अल्प समय में ही राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थाओं में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया है।

 
सुसज्जित छात्रावास

महाकवि आचार्य ज्ञानसागर छात्रावास स्थापना सन्तशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से उनके परम शिष्य निर्यापक श्रमण, मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज की प्रेरणा एवं उनके ही सान्निध्य में की गयी, जिसमें  लगभग 230 छात्र निवास करते हुए अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। छात्रावास के भूतल में ध्यान कक्ष, प्रथम मंजिल पर प्रशासकीय कक्ष, शिक्षण कक्ष, शास्त्र भण्डार व पृथक् से भोजनालय, द्वितीय एवं तृतीय मंजिल पर मन्दिर एवं प्रवचन हॉल तथा छात्रों के आवास हेतु प्राकृतिक रोशनी व हवादार कक्ष हैं। अधिष्ठाता भवन एवं शिक्षक निवास, परिसर में ही पृथक् से हैं, जो कि सभी आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण हैं। छात्रावास में खेल के विशाल मैदान हैं तथा छात्रों को क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबॉल, बैडमिण्टन, कैरम, शतरंज आदि विभिन्न खेलों की सुविधा उपलब्ध है । निरन्तर बढ़ती हुयी छात्र संख्या को दृष्टि में रखकर 1 तीन मंजिला पृथक् भवन खण्ड का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जिसमें 100×170 फीट की विशाल भोजनशाला, 12 कक्षा कक्ष एवं छात्रों के 35 आवासीय कक्षा तैयार हो चुके हैं।

 

संस्थान में सभी छात्रों / छात्राओं को आवास, भोजन, धार्मिक शिक्षण वा राजस्थान यूनिवर्सिटी से बी.ए वा एम.ए तक का प्रशिक्षण की सम्पूर्ण सुविधाएं निःशुल्क समाज के सहयोग से प्रदान की जाती है। संस्थान को प्रदान की गई सहायता से चारों प्रकार के दान का पुण्यार्जन होता है। अतः दानदाताओं से अनुरोध है कि संस्थान को अधिक से अधिक दान राशि श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर, जयपुर के नाम से बैंक ड्राफ्ट या नगद जमा कराकर जिनवाणी के प्रचार-प्रसार एवं विद्वानों के तैयार करने में आर्थिक सहयोग प्रदान करें।

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